हेल्थ डेस्क. शरीर छोटी-छोटी कोशिकाओं से मिलकर बना होता है। जब ये कोशिकाएं विभाजित होकर अनियंत्रित रूप से बढ़ने लगती हैं तो इसे कैंसर की स्थिति कहते हैं। भारत में सबसे ज्यादा मुंह, स्तन, सर्वाइकल, फेफड़ों और प्रोस्टेट का कैंसर देखने को मिलता है। जिनमें 60 फीसदी मामले मुंह (ओरल), स्तन एवं गर्भाशय कैंसर के होते हैं। हालांकि इनका निदान आसान है, लेकिन पूरा इलाज सिर्फ शुरुआती अवस्था में ही संभव है। भारत में मुंह के कैंसर के कारण सबसे ज्यादा मौते होती हैं, इसका मुख्य कारण धूम्रपान और तंबाकू है। अमेरिकन कैंसर सोसायटी और नेशनल कैंसर इंस्टीट्यूट के मुताबिक, दुनियाभर में 10 प्रमुख कैंसर ऐसे हैं जिनके मामले सबसे ज्यादा देखने को मिलते हैं। मेडिकल ऑन्कोलॉजिस्ट डॉ. संदीप जसूजा से जानिए इनके लक्षण और रिस्क फैक्टर…
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- कैसे पहचानें: यूरिन पूरी तरह से रिलीज न होना, अचानक यूरिन का प्रेशर बढ़ना
- रिस्क फैक्टर : फैमिली हिस्ट्री, आनुवांशिक बदलाव, अधिक चर्बी वाला फूड और मीट लेना
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- कैसे पहचानें: खांसी, सांस में तकलीफ, सीने में दर्द, हड्डियों में दर्द
- रिस्क फैक्टर: तंबाकू, स्मोकिंग, एयर पॉल्यूशन, पानी में आर्सेनिक होना
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- कैसे पहचानें: भूख न लगना, उल्टी महसूस होना, आंख व स्किन का रंगा पीला होना
- रिस्क फैक्टर: क्रॉनिक हेपेटाइटिस, सिरोसिस, फैटी लीवर, अधिक अल्कोहल, डायबिटीज
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- कैसे पहचानें: अधिक पसीना निकलना, थकान, हड्डियों में दर्द, वजन घटना
- रिस्क फैक्टर : जेनेटिक सिंड्रोम, स्मोकिंग, रेडिएशन, ब्लड डिसऑर्डर
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- कैसे पहचानें : सम्बंध बनाते समय दर्द अधिक होना, अधिक ब्लीडिंग होना
- रिस्क फैक्टर : ह्यूमन पैपिलोमा वायरस, लंबे समय तक कंट्रासेप्टिव पिल्स लेना, स्मोकिंग
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- कैसे पहचानें: यूरिन रिलीज करते समय दर्द होना, इसका रंग लाल या गुलाबी होना।
- रिस्क फैक्टर : स्मोकिंग, केमिकल और रेडिएशन
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- कैसे पहचानें: मल में ब्लड आना, पेट में दर्द, थकान महसूस होना
- रिस्क फैक्टर : अधिक अल्कोहल लेना, अधिक वजन होना, रेड मीट
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- कैसे पहचानें: गहरे रंग का यूरिन, पेट में दर्द, भूख और प्यास अधिक लगना
- रिस्क फैक्टर : स्मोकिंग, डायबिटीज, फैमिली हिस्ट्री, मोटापा
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- कैसे पहचानें: ब्रेस्ट के आकार और रंग में बदलाव, सफेद पदार्थ का निकलना
- रिस्क फैक्टर: स्ट्रेस, अल्कोहल, मोटापा, स्मोकिंग
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- कैसे पहचानें: पेट में ऐंठन व दर्द, यूरिन बार-बार होना, थकान अधिक होना
- रिस्क फैक्टर : मेनोपॉज के बाद हार्मोन थैरेपी लेना, मोटापा, फैमिली हिस्ट्री
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- अगर सोने और जागने का वक्त बदल गया हो, मुंह खोलने, चबाने या निगलने में दिक्कत हो रही हो।
- 3 हफ्ते से ज्यादा लंबे समय से खांसी हो, मुंह में या फिर शरीर में कहीं भी जख्म हो और 3 हफ्ते से ज्यादा वक्त से भरा नहीं हो।
- बार-बार बुखार हो रहा हो या सभी इलाज के बाद भी बुखार 3 हफ्ते तक ठीक न हो रहा हो।
- शरीर में कहीं भी गांठ हो और वह बढ़ रही हो (दर्द न हो तो भी दिखाएं क्योंकि कैंसर में दर्द बहुत बाद की स्टेज में होता है)।
- बलगम, पेशाब, शौच, इंटरकोर्स या पीरियड्स के बीच में खून आए और आवाज़ में बदलाव हो जैसे आवाज़ भारी हो रही हो। ऐसे लक्षण दिखें डॉक्टरी सलाह जरूर लें।
पुरुषों में सबसे ज्यादा कैंसर मुंह, गले और फेफड़ों का होता है। इन तीनों ही कैंसर की सबसे बड़ी वजह तंबाकू है, फिर चाहे बीड़ी-सिगरेट हो या गुटखा। स्मोकिंग से प्रोस्टेट, किडनी, ब्रेस्ट और सर्विक्स कैंसर के भी चांस बढ़ जाते हैं। पुरुषों में करीब 50 फीसदी और महिलाओं में 20 फीसदी कैंसर की वजह तंबाकू होता है। अगर कोई शख्स 10 साल तक रोजाना 10-12 सिगरेट पीता है तो वह कैंसर का शिकार हो सकता है। रोजाना ली जाने वाली शराब की जरा सी मात्रा भी नुकसानदेह है। ऐसे में तंबाकू और शराब से दूरी ही बेहतर है।
तनाव की स्थिति में शरीर में रिलीज होने वाले केमिकल भी कैंसर का कारण बन सकते हैं। एक या दो दिन दुखी रहने से फर्क नहीं पड़ता लेकिन अगर कुछ महीने या सालों तक दुखी रहें या तनाव में रहें तो कैंसर की आशंका बढ़ती है। खुश रहने के अलावा रोजाना 6-7 घंटे की अच्छी नींद भी बहुत जरूरी है। ऐसा करने से शरीर कैंसर से लड़ने की क्षमता हासिल करता है।