हिसार (हरियाणा). हिसार (Haryana Hisar News) के हसनगढ़ गांव में हुई एक शादी पूरे गांव में चर्चा का विषय बनी हुई है। रविवार को यहां एक मजदूर की बेटी की विदाई हेलिकॉप्टर (Bride Farewell in Helicopter) में हुई। यही नहीं, लड़के वालों ने शगुन के तौर पर दहेज के रूप में मात्र 1 रुपए लिया। लड़की के पिता सतबीर यादव का कहना है, उन्होंने कभी सोचा नहीं था कि उनकी लाडली ऐसे विदा होगी। इसी साल मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) के रतलाम में भी कुछ ऐसी ही शादी हुई थी। जब खपरैल से बने दो कमरे वाले घर में पली-बढ़ी शाहिस्ता की विदाई हेलिकॉप्टर में हुई थी। dainikbhaskar.com आपको इस शादी के बारे में बता रहा है। तब हर किसी की जुबां परएक ही बातथी- चमक गई लड़की की किस्मत।
मां बोली- तू सच में खुशनसीब है बेटी
26 मार्च, 2018 को बेटी की विदाई के वक्त सिलाई का काम करने वाली आसिफ बी की आंखों में आंसू छलक आए थे। रोते हुए बेटी से कहा था- शाहिस्ता तू सच में बहुत खुशनसीब है। तब 10वीं पास बेटी ने अपनी विदाई को लेकर कहा था- 'मैंने सपने में भी नहीं सोचा था कि मुझसे निकाह करने कोई हेलिकॉप्टर से आएगा। खुदा ने बिना मांगे सारे जहां की खुशी दे दी।'
ऐसे चमकी थी शाहिस्ता की किस्मत
रतलाम जिले के पठानटोली इलाके की रहने वाले वाहिद खान की बेटी शाहिस्ता की सगाई 3 साल पहले राजस्थान कोटा जिले के खनिज कारोबारी आरिफ खान के बेटे हाजी आसिफ से हुईथी। शाहिस्ता की मां ने बताया, तीन साल पहले वो मुगलपुरा में बहन से मिलने गई थी। वहां पड़ोस में रहने वाली रेहाना बी (अब नानी सास) ने शाहिस्ता को देखकर कहा था, इतनी सुंदर लड़की मुझे पहले नजर क्यों नहीं आई। उन्होंने सुकेत (कोटा जिले में एक जगह) के रहने वाले अपने दामाद खनिज कारोबारी आरिफ के बेटे से शादी की बात चलाई। फिर मां-बेटे मेरी बेटी को देखने आए।
50 से ज्यादा लड़कियां देखी,शाहिस्ता पहली नजर में भा गई
कारोबारी की पत्नी-बेटे ने भी शाहिस्ता को पहली नजर में ही पसंद कर लिया। इससे पहले लड़के वाले 50 से ज्यादा लड़कियां देख चुके थे। आसिफ के छोटे भाई आदिल की भी मध्य प्रदेश के जावरा में शादी हुई। लिहाजा, दोनों एक ही हेलिकॉप्टर से अपनी-अपनी ससुराल रवाना हुए और निकाह कर दुल्हन भी साथ ले गए।
'हम गरीब ये रिश्ता कैसे मुमकिन'
इससे पहले शाहिस्ता की मां ने कारोबारी की पत्नी से कहा था, आप अमीर और हम गरीब ठहरे। हमारे पास तो रहने के लिए घर भी नहीं है। जैसे-तैसे हमारे मां-बाप ने खपरैल का दो कमरे वाला घर बनवा दिया। मैं सिलाई करती हूं। पति फल का ठेला लगाते हैं। ऐसे में रिश्ता कैसे हो सकता है। इसके बाद आसिफ के मां-बाप ने कहा था, हमें अमीर-गरीब से मतलब नहीं। हमें शाहिस्ता पसंद है और कुछ नहीं चाहिए।