मुंबई. शेयर भाव में ज्यादा उतार-चढ़ाव ना हो, इसके लिए सेबी नियम बदलने जा रहा है। सभी शेयरों के दाम एक दिन में घटने या बढ़ने की सीमा 20% तय की जा सकती है। इसमें फ्यूचर और ऑप्शन सेगमेंट के शेयर भी शामिल होंगे।
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फ्यूचर और ऑप्शन सेगमेंट में शेयरों पर सर्किट लागू नहीं होता है। करीब 200 स्टॉक इस सेगमेंट में हैं। इस सेगमेंट में प्राइस बैंड नहीं होने के कारण हाल के दिनों में कई शेयरों के दाम एक दिन में काफी गिरे हैं, जिससे निवेशकों को नुकसान हुआ।
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सेबी के अनुसार जिन शेयरों के डेरिवेटिव प्रोडक्ट उपलब्ध हैं, उनके 6 महीने के प्रदर्शन पर गौर किया गया। कम से कम 40 शेयरों में दिन के कारोबार में 20% से ज्यादा तेजी या गिरावट देखने को मिली। इनमें से 29 स्टॉक्स में मूवमेंट 20% से 30% तक था।
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फ्यूचर और ऑप्शन डेरिवेटिव सेगमेंट में ही आते हैं। अभी डेरिवेटिव सेगमेंट में कोई सर्किट लिमिट नहीं है। सेबी ने नियम बदलने के लिए सभी पक्षों से 20 फरवरी तक राय मांगी है।
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सेबी ने अपने सुझावों के फायदे और नुकसान भी बताए
फायदा: डेरिवेटिव सेगमेंट में प्राइस लिमिट से किसी भी शेयर में ज्यादा उतार-चढ़ाव से बचा जा सकेगा। कंपनियों और प्रमोटरों को शेयर भाव के आकलन का मौका मिलेगा। जरूरी हुआ तो वे बाजार के सेंटीमेंट को समझते हुए कोई घोषणा भी कर सकते हैं।
नुकसान: किसी भी शेयर का प्राइस बैंड तय करने से शेयर की उचित वैल्यू तय करने में मुश्किल आ सकती है। इसका लिक्विडिटी पर भी असर होगा। प्राइस बैंड तय करने से डेरिवेटिव और कैश सेगमेंट में शेयर की कीमतों में असमानता भी दिख सकती है।