एक मल्टीनेशनल कंपनी के डायरेक्टर इंजिनियर संदीप दहिया को यूजर फ्रेंडली प्रॉडक्ट बनाने का शौक है। एसी हेल्मेट तैयार करने के चक्कर में उनके घर का गराज वर्कशॉप में बदल गया। संदीप ने साढ़े चार साल में 8 अलग-अलग मॉडल डिजाइन किए। इसके बाद परफेक्ट एसी हेल्मेट बन पाया। उन्होंने इसे वातानुकूल नाम दिया है। यह एसी हेल्मेट बाइक की बैटरी से सप्लाई होने वाले डीसी पावर (12 वोल्ट) पर काम करता है। कूलिंग इफेक्ट के लिए किसी अन्य एक्सटर्नल एनर्जी की आवश्यकता नहीं होती है।
कैसे काम करता है एसी हेल्मेट
वातानुकूल नाम के इस हेल्मेट का वजन करीब 1.7 किलोग्राम है। वहीं, मार्केट में मिलने वाले ज्यादातर हेल्मेट का वजन 800 ग्राम से 2 किलोग्राम की रेंज में है। एसी हेल्मेट के दो हिस्से हैं। इनमें एक पार्ट रबर ट्यूब हैं, जो हेल्मेट के अंदर एयर सर्कुलेशन का काम करते हैं। दूसरा पार्ट बैकपैक की तरह पहना जाता है। पहनने वाली यूनिट में रिवर्स थर्मो कपल, हीट ऐक्सचेंजर, कंट्रोल और ब्लोवर शामिल हैं।
हीट एक्सचेंजर सही एयर-कूलिंग का ध्यान रखता है। इसके लिए बर्फ या पानी की कोई जरूरत नहीं होती है। हीट एक्सचेंजर (स्पेसशिप में इस्तेमाल होने वाले) में एक सेमिकंडक्टर है, जो टेंपरेचर कम या ज्यादा करने में मदद करता है। हेल्मेट में कोई पावर सप्लाई नहीं है, लेकिन इसमें रबर ट्यूब के रूप में एयर सर्कुलेटर्स हैं। यह रिमोट जैसे काम करने वाले एसी कंट्रोल डिवाइस से जुड़ा है।
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एक महीने से टेस्टिंग
संदीप टू-वीलर चलाने के दौरान इस एसी हेल्मेट को पहनकर अपने घर से ऑफिस जाते हैं। वे एक महीने से इस खास हेल्मेट की टेस्टिंग कर रहे हैं। उन्होंने बताया, ‘कई लोग मुझसे पूछते हैं कि मैं अपनी पीठ पर क्या लेकर चलता हूं और जब मैं बताता हूं कि यह एसी हेल्मेट है, तो लोग हैरान रह जाते हैं।’